बिहार के वैशाली जिले में वैशाली गढ़ से पूर्व दिशा में करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर कमन छपरा गाँव में स्थित है चौमुखी महादेव मंदिर जिसे चतुर्मुखी महादेव मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर में महादेव प्रभु का एक शिवलिंग है जिसके चारों दिशाओं की ओर चार मुख बने हुए है. ये चारों मुख क्रमशः ब्रह्मदेव, भगवान विष्णु, भगवान शिव और सूर्यदेव के हैं. माना जाता है कि यह शिवलिंग करीब 1500 साल पुराना है.
कैसे हुआ प्रादुर्भाव
वैसे तो यह चतुर्मुखी महादेव शिवलिंग सदियों पुराना है लेकिन इसका प्रादुर्भाव बहुत हाल ही में हुआ है. माना जाता है कि आज से करीब 50-60 साल पहले जहाँ मंदिर है वहाँ एक काफी पुराना और गहरा तालाबं था. उस तालाब में गाँव के कुछ बच्चे तैरने के लिए गए. उनमें से एक बच्चा काफी गहरे डुबकी लगा गया. तालाब की तली में उसे एक बेहद ठोस सा कुछ पत्थर जैसा दिखा. उसने घर लौटकर सबको यह बात बताई और बात प्रशासन तक पहुँची. क्योंकि वैशाली पुरातात्विक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण रहा है, अतः प्रशासन ने तुरंत कार्यवाही करते हुए तालाब की खुदाई शुरू कर दी. जैसे जैसे खुदाई बढ़ी चतुर्मुखी महादेव का शिवलिंग प्रकट होने लगा. अंततः महादेव लगभग चार फ़ीट के चतुर्मुखी शिवलिंग रूप में प्रकट हुए. प्रशासन ने शिवलिंग को निकालने की प्रक्रिया शुरू की किन्तु महादेव तो जैसे वह स्थान छोड़ना ही नहीं चाहते थे. तमाम आधुनिक उपकरणों के प्रयोग के बाद भी चतुर्मुखी शिवलिंग रुपी महादेव ऊपर आना तो दूर, अपनी जगह से हिले तक नहीं. अंततोगत्वा, तालाब को भरकर उसी स्थान पर गह्वर रुपी मंदिर बनाने की योजना बनी. तालाब को भरा जाने लगा. तबतक रस्सियों की सहायता से एक लकड़ी का पुल बनाकर महादेव के दर्शनों की तात्कालिक व्यवस्था कर दी गई. पुरातत्व विभाग ने शिवलिंग के 1500 वर्ष पहले बने होने की पुष्टि कर दी.
मंदिर का निर्माण
चतुर्मुखी महादेव मंदिर का निर्माण भी आसान न था. सबसे पहले तालाब के साथ साथ आसपास के इलाकों को भी मिट्टी से भरा गया. फिर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ. इसमें प्रशासन के साथ साथ स्थानीय निवासियों ने भी बढ़ चढ़कर अपना योगदान दिया. इस मंदिर में चार द्वार हैं जो चारों मुखों की ओर खुलते हैं. चतुर्मुखी महादेव मंदिर की संरचना ऐसे की गई है कि मंदिर के अन्दर आने के बाद आपको सीढियों से नीचे उतर कर गहराई में जाकर चतुर्मुखी शिवलिंग के दर्शन करने होते हैं. चतुर्मुखी शिवलिंग रुपी महादेव आज भी बिलकुल उसी जगह स्थित हैं जहाँ वे प्रकट हुए थे.
माना जाता है कि चतुर्मुखी महादेव अपने दर्शनों के लिए आने वाली सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते है. उनके मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. धार्मिक मान्यताओं के अलावा यहाँ पुरातात्विक महत्त्व होने के कारण चतुर्मुखी महादेव मंदिर देशी और विदेशी पर्यटकों के भी आकर्षण का केंद्र है. श्रावन मास में कांवरियों द्वारा किये जाने वाले अर्चन-पूजन के साथ-साथ यहाँ सामान्य दिनों में भी पूजन के लिए काफी भीड़ होती है जिसके कारण प्रशासन तथा मंदिर समिति द्वारा अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था भी की गई है. पूजन के साथ-साथ यहाँ शादी-विवाह भी संपन्न कराए जाते हैं. यह भी माना जाता है कि वैशाली आने वाला कोई भी व्यक्ति चतुर्मुखी महादेव के दर्शन किये बिना नहीं जाता. ऐसा माना जाता है कि चतुर्मुखी महादेव मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर और बैद्यनाथ धाम, देवघर के बिलकुल मध्यबिंदु पर स्थित है.
केवल श्रद्धा और विश्वास ही नहीं, बल्कि अपने भौगोलिक और पुरातात्विक महत्त्व के कारण भी चतुर्मुखी महादेव मंदिर देश की धरोहर है.